बढ़ा लिंगानुपात, 901 से उछलकर 916 पर पहुंचा आंकड़ा


घरौंडा(दर्पण टाइम्स)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। घरौंडा क्षेत्र का लिंगानुपात 901 से बढ़कर 916 पर पहुंच गया है। लिंगानुपात में वृद्धि से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी खुश दिखाई दे रहे है।
अधिकारियों की मानें तो सरकार द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियानों का असर है कि आज लिंगानुपात बढ़ा है। यदि पीएचसी लेवल पर लिंगानुपात की बात की जाए तो घरौंडा पीएचसी क्षेत्र में 190 अंकों का जबरदस्त उछाल आया है। अक्तूबर-2018 से अक्तूबर-2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक, घरौंडा पीएचसी का लिंगानुपात 863 से बढ़कर 1053 पर पहुंच गया है। दूसरे नंबर पर गगसीना पीएचसी रही है, जहां पर लिंगानुपात 888 से बढ़कर 977 पर पहुंच गया है। घरौंडा क्षेत्र की कुछ पीएचसी ऐसी भी है जिनके आंकड़ों में कुछ गिरावट दर्ज की गई है। चौरा, कुटेल और बरसत पीएचसी में लिंगानुपात पिछले साल के मुकाबले कुछ लुढ़क गया है। इस लिस्ट में पहले स्थान पर पीएचसी चौरा है, जो आंकड़ा पिछले साल 883 पर था, वहीं इस वर्ष 763 पर है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इस आंकड़ें में 120 अंकों की कमी आई है। वहीं बरसत पीएचसी 982 से 907 पर पहुंच गया है। जबकि कुटेल पीएचसी 873 से 837 पर पहुंच गया है। जिस तरह से तीनों पीएचसी में लिंगानुपात का आंकड़ों लुढ़कता नजर आ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो पीएचसी स्तर पर लिंगानुपात का आंकड़ा प्रायरू घटना-बढ़ता रहता है। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य लिंगानुपात को 950 से ज्यादा पर पहुंचाना है। जिसको लेकर विभाग की ओर से भी जागरूकता अभियान चलाए जाते है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुनेश गोयल का कहना है कि लिंगानुपात में घरौंडा क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ था। अक्तूबर 2018 तक क्षेत्र का ङ्क्षलगानुपात प्रति हजार लड़कों पर मात्र 901 लड़कियों का था। यह बहुत ही चिंता का विषय रहा है। लेकिन बीते वर्ष के मुकाबले, इस वर्ष हमने 15 अंकों का उछाल किया है। लिंगानुपात की स्थिति में सुधार हो रहा है। सरकार द्वारा लिंग जांच के लिए बनाए गए सख्त कानून और जागरूकता अभियानों का परिणाम है कि आज लिंगानुपात में तो सुधार आया ही है साथ ही लोगों की मानसिकता भी परिवर्तित हुई है।