पालिका के पास नहीं हैं कोई तरीका
डिबाई(द.ट.)।क्षेत्र में बन्दरों का आतंक इस कदर चरम पर है कि लोगों का निकलना दूभर हो गया है।चाहे वह ग्रामीण अंचल हो या नगर ,कोई भी घर इन बन्दरों के आतंक से अछूता नही है।नगर में शायद ही कोई घर बचा होगा,जो बन्दरों के आतंक से प्रभावित न हो। इन बन्दरों के कारण न तो आप अपने घर की छत जा सकते हो और न ही आपके छोटे-छोटे बच्चे अपने ही घर की छत पर जा सकते है। हद तो तब हो जाती है, जब गृहणियों द्वारा कपड़े छत पर सुखाए जाते हैं तो ये आतंकी बन्दर आपके कीमती कपड़ों को लेकर भाग जाते हैं और उन्हें चीर-फाड़ करके बर्बाद कर देते हैं।यहीं नहीं इन बन्दरों के आतंक के कारण गृहणियां खुले में खाना तो बना हीं नहीं सकतीं। क्योंकि न जाने बन्दरों का कोई झुण्ड कब आ जाए और कब हमला कर घायल कर दे। क्योंकि पूर्व में भी बन्दरों द्वारा काटे जाने की सैकड़ों घटनाएं हो चुकी है, मगर इस ओर सम्बंधित विभाग का कोई ध्यान नही है।