एकेपी इंटर कॉलेज में मंत्रोच्चार के साथ हुआ यज्ञ का शुभारंभ

 




 



खुर्जा(कैलाश गुप्ता/गजेन्द्र सिंह)। गुरूवार को एकेपी इण्टर कॉलेज में दो दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ आर्य वैदिक ध्वनि और पवित्र मंत्रोच्चार के साथ हुआ। यज्ञ में सभी आहुतियां कन्या गुरूकुल सासनी हाथरस की ब्रहमचारियों द्वारा दिलवायी गयीं। यज्ञ के प्रथम दिवस यज्ञ की वेदी पर प्रधानाचार्या शशीबाला यजमान के रूप में मौजूद रहीं।
कन्या गुरूकुल सासनी की आचार्या सुमन एवं ब्रहमचारिणी राधा, ललतेश, दुर्गेश, गार्गी, श्रेष्ठा एवं सुकृति ने कहा कि वेदों का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना सुनाना दोनों ही श्रेष्ठकर कार्य हैं। कॉलेज प्रबंध समिति के प्रबंधक डा0 धीरज सिंह ने बताया कि यज्ञ के धुआं से वातावरण स्वच्छ होता है। प्रदूषित वातावरण के कीटाणुओं का नाश होता है। प्रत्येक व्यक्ति को यज्ञ अवश्य करना चाहिए जिससे पर्यावरण साफ होता है। बताया कि महर्षि दयानन्द सरस्वती ने 12 अप्रैल 1875 को मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज वैदिक धर्म पर आधारित वह संगठन है, जो धर्म, अधर्म की व्याख्या तर्क की तुला पर तौलकर करता है। वेदों में स्पष्ट लिखा है कि ईश्वर की कोई प्रतिमा नहीं है, वह अंतर्यामी है। वह अजर अमर और अभय इस समूचे जगत की उत्पत्ति करने वाला है। उसी सर्वशक्तिमान की उपासना यज्ञादि कर्मों द्वारा की जाती है। प्रधानाचार्या शशीबाला ने कहा कि आर्य समाज सभी अंधविश्वास, कुरीतियों का पुरजोर विरोध करता है। साथ ही आज की नारी को शिक्षा के अधिकार का श्रेय स्वामी दयानंद सरस्वती जी को ही जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर की स्तुति के लिए यज्ञ अवश्य करना चाहिए। यज्ञ से जहां एक ओर मन को शांति मिलती है वहीं पर्यावरण भी शुद्ध होता है। इस मौके पर प्रबंध समिति के घनश्याम दास सक्सेना, नरेन्द्रपाल वाधवा, रामस्वरूप आर्य, रमेशपाल सिंह, दुष्यंत कुमार, संजय वर्मा, करन सिंह गौतम सहित मंजू रानी, राजरानी, रिचा तिवारी, पायल गुप्ता, जितेन्द्री देवी, पुष्पांजलि शर्मा, देवी, नीलम सिंह, रानीप्रीति सहित समस्त शिक्षिकाओं एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने यज्ञ में आहुतियां दीं।
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