बुलन्दशहर(द.ट.)। सुश्री फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग को गोसेवा के लिए स्वामी ब्रह्मानंद पुरुस्कार दिया गया।प्रथम पुरस्कार ब्रह्मनद महाविद्यालय राठ में प्रिंसीपल रहे नानकचन्द माहुर के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने पुरुस्कार दिया। इस दौरान स्वमसेवक बाबू सिंह देशराजन, रामबाबू वर्मा, अमित राजपूत ,कृष्ण कुमार, प्रवेन्द्र लोधी ,हरिपाल महान ,देवेन्द्र लोधी, पुष्पेन्द्र सिंह, मनोहर लोधी समेत अलीगढ़ दिल्ली राठ सहित कई जनपदों से टीम पहुंची एवं सैकड़ांे पदाधिकारी मौजूद रहे।
इस दौरान सुश्री फेडरिक ने कहा कि स्वामी जी महान थे ,वो देश के बड़े गोसेवक थे।आज स्वामी ब्रह्मानंद पुरुस्कार मिलने से बहुत खुश हूं।सभी का धन्यवाद करती हूं। सुश्री फेडरिक का जन्म 2 मार्च, 1958 को जर्मनी के बर्लिन शहर में हुआ है और अब ये 61 वर्ष की हैं। साल 1978 में जब ये 20 वर्ष की किशोरवय थीं तो पर्यटन के उद्देश्य से भारत आयी हुयी थीं, जिसके बाद से वह हमेशा हमेशा के लिए भारत में रच-बस गयीं और ब्रज को अपनी साधना का केन्द्र बनाया।बीते 41 सालों से यहाँ रहकर फ्रेडरिक भारतीय अस्मिता को आत्मसात कर रही हैं और पिछले 25 सालों से अनवरत गायों की देखभाल और उनकी सेवा के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं।
इन्होंने उत्तर प्रदेश के मथुरा में कोन्हई गाँव के पास एक 'राधा सुरभि गोशाला' बनाई है, जहाँ ये लगातार लगभग डेढ़ हजार गायों की सेवा करती हैं। जिन गायों की सेवा में फ्रेडरिक लगी हैं, वे सभी गैर-उपादेय यानी कि सामान्यतः लोग जिन्हें गैर-जरूरतमंद समझते हैं, मसलन जो दूध नहीं देतीं उन गायों का पालन-पोषण करती हैं।इनमें ज्यादातर बूढ़ी, बीमार, रोगी, घायल और कमजोर गायें शामिल रहती हैं। अपने सम्पूर्ण जीवनवृत्त में अब तक इन्होंने लाखों गायों की सेवा का पुण्य लाभ उठाया है।
इन गायों की देखभाल के लिए सुश्री फ्रेडरिक को लगभग 25-30 लाख रुपये मासिक का खर्चा आता है, जिसे वो प्रमुख रूप से बर्लिन स्थित अपनी पुश्तैनी संपत्ति से वहन करती हैं।शेष उन्हें लोगों का सहयोग भी प्राप्त होता है।गो सेवा के प्रति सुश्री फ्रेडरिक की दीवानगी ऐसी है कि उन्होंने इसके लिए अपनी जवानी सहित पूरा जीवन इसमें खपा दिया,यहाँ तक कि इन्होंने विवाह भी नहीं किया ,बावजूद इसके कि वह अपनी माँ-बाप की इकलौती संतान हैं।इनके ऐसे प्रेरणादायी कार्य के लिए लोग इन्हें 'बछड़ों की माँ' कहते हैं और ये ब्रज समेत पूरे भारतवर्ष में सुदेवी दासी या सुदेवी माता के नाम से पुकारी जाती हैं।इसलिए गोसेवा के क्षेत्र में सुश्री फ्रेडरिक इरीना रूनिंग द्वारा किए गये अद्वितीय, अप्रतिम एवं अनुकरणीय प्रयासों और कार्य के लिए इस वर्ष का स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार प्रदान किया गया।
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