अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हाथों की कारागिरी ने बिखेरे रंग


 


 


 


 


 



कुरुक्षेत्र (दर्पण टाइम्स)।अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर की परिक्रमा पर दिल्ली से आए दयानंद के स्टाल नम्बर 234 पर लाल, काली, पीली मिट्टड्ढी से बने घरों के साज- सज्जा का समान पर्यटकों व स्थानीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। दिल्ली से आए दयानंद ने बताया कि वह लाल, पीली व काली मिट्टी से बने गुड्डड्ढा, गुड्डड्ढी, फ्लावर पोर्ट, तुलसी का गमला, सुराही इत्यादि घरों की साज सज्जा का सामान इस अंतर्राष्टड्ढ्रीय गीता महोत्सव में लेकर आया है जोकि पर्यटकों को यह सामान बहुत ही पंसद आ रहा है।
दयाचंद शिल्पी ने बताया कि यह सजावट का सामान हाथों से बनाता है। यह सामान वह लाल, पीली व काली मिट्टड्ढी से बनाता है तथा इस सामना को बनाने के लिए पहले वह इस मिट्टड्ढी को कूटकर बारीक करता है, फिर उसे छानता है छानने के बाद उसे घोलता है और फिर चाक पर रख कर उसे सुन्दर आकृतियों के रूप देता है। इस सजावट के सामान को बनाने में कम से कम 10 से 15 दिन लगते है। इस हस्थ शिल्पकला के पर्यटक कायल हो चुके है और इस सामान की पर्यटक व स्थानीय लोग जमकर खरीददारी कर रहे है। उसने बताया कि इस वह इस अंतर्राष्टड्ढ्रीय गीता महोत्सव में 100 रुपए से 2 हजार रुपए तक की कीमत का सामान लेकर आया है।
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