अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी के दूसरे दिन गीता की विभिन्न टीकाओं के आधार पर लोककल्याण के सूत्रों को बताया


कुरुक्षेत्र (दर्पण टाइम्स)।अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित हो रहे चौथे अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी के दूसरे दिन संस्कृत-पालि प्राकृत विभाग के द्वारा फैकल्टी लाँज में तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। गोष्ठी में विश्वकल्याण और भगवद्गीता की अन्तश्चेतना इस विषय पर विद्वानों व शोधार्थियों ने अपने विचार रखे। रूडकी से आए डॉ. मानसिंह ने बीजवक्ता के तौर पर गीता की विभिन्न टीकाओं के आधार पर लोककल्याण के सूत्रों को बताया। मुख्यवक्ती डॉ. दीप्ति त्रिपाठी ने गीता को जीनव दायिनी व कालातीत बताया। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय, चण्डीगढ़ ने गीता की वर्तमान में प्रासंगिकता को सरल व तर्कपूर्ण भाषा में समझाया।
डॉ. सुधीकान्त भारद्वाज ने अपने वक्तव्य में गीता को विभिन्न कलाओं और विज्ञानों की धारिका और पोषिका बताया। वैदेशिक विद्वानों की श्रृंखला में रशिया से आए ओलेग गोरस्वेस्की, मोरिशस से प्राच्यविद्या संस्थान में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष विश्वानन्द पुट्टिया, बेल्जियम से कपिल कुमार ने भी गीता विषय में अपने शोधपूर्ण विचार प्रस्तुत किये। विभिन्न विभागों व महाविद्यालयों के गीताचिन्तकों ने शोधपत्र प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. ललित कुमार गौड़ ने किया। संस्कृत विभाग की अध्यक्षा डॉ. कृष्णा देवी ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया। डॉ. विभा अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में डीएवी महाविद्यालय, पिहोवा के प्राचार्य डॉ. कामदेव झा, पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. विजया रानी और डॉ. राजेश्वर  प्रसाद मिश्र, डॉ. रामचन्द्र, कुलदीप धीमान, डॉ. शिवानी, डॉ. ज्योति, श्री रमेश सुखीजा, ऋतु सीमा, गीता, ज्योति, अंजु, लक्ष्मी, निशा, केशव, रविदश्रशर्मा, अंग्रेज, राजेन्द्र, कृष्ण राम भी उपस्थित रहे।