सब्जी उत्कृष्टता केंद्र घरौंडा अडामा, आईसीएल, हजारा और माना ऐप चार पैरामीटर पर काम करता


घरौंडा(दर्पण टाइम्स)।देश के विभिन्न नौ राज्यों से राष्ट्रीय क्लस्टर मीट में शामिल हुए बागवानी उत्कृष्टता केंद्रो के अधिकारी एक-दूसरे की टैक्नोलोजी और डेमोस्ट्रेशन को अपने-अपने बागवानी केंद्रों पर लागू करेगें। इससे किसानों को नई तकनीकें और फसलों के विषय में जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी। इसके साथ ही अब बागवानी केंद्रों के अधिकारी संरक्षित खेती में आने वाली दिक्कतों को भी दूर कर पाएंगें। सब्जी उत्कृष्टता केंद्र में दो दिनों तक चली भारत-इजराइल परियोजना क्लस्टर मीट के अंतिम दिन मंगलवार को बागवानी अधिकारियों ने ऑपन डिबेट में हिस्सा लिया। इस डिबेट के दौरान सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, फर्टिलाइजर, निमेटोड व फसलों में होने वाली दिक्कतों को लेकर इजराइली कांउस्लर दान अलुफ व इजराइली विशेषज्ञ मिस्टर गिलार्ड ने अधिकारियों समस्याओं का निराकरण किया। केंद्र में फील्ड विजिट के दौरान विशेषज्ञों को इजराइली फर्टिलाइजर सिंचाई प्रणाली से रूबरू करवाया गया।
सीइवी करता है चार पैरामीटर पर काम
हरियाणा उद्यान विभाग के उपनिदेशक दीपक कुमार ने बताया कि सब्जी उत्कृष्टता केंद्र घरौंडा अडामा, आईसीएल, हजारा और माना ऐप चार पैरामीटर पर काम करता है। अदामा निमेटोड से संबंधित है, जबकि आईसीएल फर्टिलाइजर से। हजारा में फसलों की विभिन्न वैरायटियां शामिल है और माना ऐप मौसम की जानकारी देता है। जिसके आधार पर किसान माइक्रो इरिगेशन की सटीक सिंचाई कर सकता है। उपनिदेशक ने बताया कि इजराइल के सहयोग से देश के विभिन्न राज्यों में 26 बागवानी उत्कृष्टता केंद्र बनाए गए है। जिनमें महज एक या दो पैरामीटर पर ही काम होता है। ऐसे में बागवानी अधिकारियों को क्लस्टर मीट के दौरान चारों पैरामीटर के बारें में विस्तृत जानकारी दी गई है। साथ ही उनके संशय को भी स्पष्ट किया गया है।
क्लस्टर मीट बहुत कुछ सीखने को मिला है
उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अतुल कुमार का कहना है कि संरक्षित खेती की दिशा में किसान बढ़ रहा है, लेकिन उसको बहुत-सी दिक्कतें भी आ रही है। इजराइली विशेषज्ञों ने संरक्षित में उत्पादन में होने वाली प्रोब्लेम को दूर किया है। इससे इस तकनीक को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। निमेटोड एक्सपर्ट मंजूनाथ ने बताया कि क्लस्टर मीट के जरिये हम सबको बहुत कुछ साझा करने को मिला है। पोली हाउस में निमेटोड के कारण फसलों का उत्पादन ही नहीं हो पाता। इस समस्या को हम कैसे दूर कर सकते है, इसी को लेकर मीट के दौरान चर्चा हुई। बागवानी अधिकारी विक्रम सिंह, सुरेश कुमार यूपी, सिद्धार्थ कर्नाटका व मिहुल गुजरात आदि ने कहा कि इस सेंटर की तकनीक बहुत ही एडवांस है। इन तकनीकों और डेमोस्ट्रेशन को अपने क्षेत्र के किसानों के बीच ले जाने का प्रयास करेंगे। ताकि किसान संरक्षित खेती की ओर बढ़ें।
सोनीपत के मनोली में देखेंगे इजराइली तकनीकें
बागवानी विभाग हरियाणा के उपनिदेशक दीपक कुमार के मुताबिक, क्लस्टर मीट के दौरान बागवानी अधिकारियों को एक-दूसरे से सीखने और सीखाने को मिला है। निसंदेह यह संरक्षित खेती करने वाले किसानों के हितों में एक मिल का पत्थर साबित होगा और किसान अपनी खेती को ओर भी अच्छे तरीके से कर सकेंगे। सोनीपत के मनोली गांव में किसानों ने 25 से 30 एकड़ में संरक्षित खेती की हुई है। यहां के किसानों ने ऑपन फील्ड में भी माइक्रो इरीगेशन का बहुत ही अच्छा काम किया है। यहां बागवानी विभाग के अधिकारियों की विजिट करवाई गई है। यहां अधिकारी किसानों से भी रूबरू हुए है। किसान किस तरह से पोली हाउस में पैदावार ले रहे है और किस तरह की दिक्कतें किसानों के सामने आई है, इन सब बातों पर भी चर्चा की गई है।